प्रस्तावना
मनाने का समय और कारण
मनाने के लाभ
इस त्यौहार को मानाने से निम्नलिखित लाभ होते है -
१. इस त्यौहार पर लोग अपने घरो की सफाई करते है जिससे घरो से कीड़े मकोड़े भाग जाते है।
२. इस
त्यौहार पर दुकानदारों और व्यापारियों की बिक्री बढ़ जाती है जिससे उन्हें काफी अधिक मुनाफा हो जाता है।
३. यह
त्यौहार खुशियो का त्यौहार है। इससे लोगो के जीवन में धन और समृद्धि बढ़ती है।
४. इस
त्यौहार पर हम अलग अलग प्रकार के पकवान बनाते है और जीवन में मिठास लाते है।
मनाने से हानि
इस त्यौहार को मानाने से निम्नलिखित हानियाँ होती है -
१. इस
त्यौहार पर लोग पटाखे जलाते है जिसे वायुं प्रदूशित हो जाती है और अनेक बीमारिया होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
२. इस
त्यौहार पर पटाखे जलने से आग लगने का खतरा बढ़ जाता है।
३. इस
त्यौहार पर पटाखे जलाने से लोगो के हाथ पैर जलने की सम्भावना बढ़ जाती है।
४. इस
त्यौहार पर लोग अपने घरो को सजाने में इलेक्ट्रिक बल्ब का प्रयोग करते है जिससे ऊर्जा की बर्बादी होती है।
५. इस त्यौहार पर लोग एक दूसरे को मिठाई देते है। अधिक मात्रा में मिठाई खाने से पेट खराब हो जाता है।
उपसंहार
600 WORDS
प्रस्तावना
भारत त्योहारों की धरती के रूप में जाने वाला देश है दिवाली भारत का एक
प्रसिद्ध त्यौहार है। हिंदुओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण पर्वो में से एक त्यौहार है।
यह पर्व हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। दीपावली को दीपों का
त्योहार भी कहा जाता है। यह पर्व अंधकार पर प्रकाश की विजय का पर्व है।
भारत का हर घर दिवाली पर दीपक से सजाया जाता है। हिंदू प्रथाओं के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन भगवान श्री राम 14 वर्ष के वनवास के बाद तथा रावण का वध करके अयोध्या नगरी वापस आये थे। तब अयोध्या के निवासियों ने श्रीराम के अयोध्या लौटने की ख़ुशी में अपने अपने घरो पर घी के दीपक जलाए थे। तभी से यह त्यौहार दिवाली के रूप में हर वर्ष मनाया जाता है ।
मनाने का समय और कारण
यह पर्व हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। इस दिन
भगवान राम, सीता और लक्ष्मण के साथ १४ वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या वापिस आये थे।
अयोध्या में लोगो ने श्रीराम, लक्ष्मण और माता सीता का घी के दीपक जलाकर स्वागत किया
। जैन के अनुसार इस दिन भगवान महावीर ने “मोक्ष'' की प्राप्ति हुई थी। इसलिए जैन इस
खुशी को दीपक जलाकर मानते है। स्वामी दयानंद सरस्वती को भी इसी दिन ‘निर्वाण’ की प्राप्ति
हुई थी।
यह रोशनी के साथ-साथ आतिशबाजी का भी त्योहार है। इस दिन पश्चिम बंगाल
और उत्तर भारत के कुछ स्थानों पर देवी काली की पूजा की जाती है। जिस प्रकार प्रकाश
अंधकार को दूर करता है उसी प्रकार देवी काली दुनिया से बुरी शक्तियों को ख़त्म करती
है।
दिवाली की तैयारी लोग महीने भर पहले से शुरू कर देते है। लोग अपने परिवार के लिए खरीदारी करते है। कुछ लोग अपने घरो पर सफेदी का काम भी कराते है। घरों की सफाई की जाती है और बिजली के बल्बों, दीपक, फूलों आदि से घर को सजाया जाता है। इस दिन लोग अपने करीबी रिस्तेदारो और मित्रो को बुलाते हैं।
दीपोत्सव
मनाने की तैयारियां
दिवाली की तैयारी लोग महीने भर पहले से शुरू कर देते है। लोग अपने परिवार के लिए खरीदारी करते है। कुछ लोग अपने घरो
पर सफेदी का काम भी कराते है। घरों की सफाई की जाती है और बिजली के बल्बों, दीपक, फूलों
आदि से घर को सजाया जाता है। इस दिन लोग अपने करीबी रिस्तेदारो और मित्रो को बुलाते
हैं। इस त्योहार पर मित्रो और अपने रिश्तेदारों के पास मिठाई भेजी जाती है। दिवाली
के दिन लोग आतिशबाजी करते है और मौज-मस्ती करते हैं। युवा नए कपडे पहनते है। रात के
समय में सजे हुए घर बहुत अच्छे लगते है। आकाशीय पटाखों की तेज चमक अंधेरी रात में एक
उत्तम दृश्य प्रस्तुत करती हैं।
यह फेस्टिवल सुंदर अनुभव कराता है। कुछ जुआरी जुआ खेलने में लिप्त हो जाते है। रात होते ही लोग अपने घरो को दीपक से सजाते है। कुछ लोग मोमबत्तियों से भी घर को सजाते है। बिजली के बल्ब भी घर पर मनमोहक लगते है। घरों के अलावा, लोग अपने स्कूल, हॉस्पिटल, सार्वजनिक भवनों और सरकारी इमारतों पर भी रोशनी करते है।
उपसंहार
दीपावली एक ऐसा
त्यौहार है जो सभी के जीवन में खुशिया लेकर आता है। यह त्यौहार हमें एक सन्देश देकर
जाता है कि हमें अच्छे कार्य करने चाहिए। बुरी संगत छोड़ देनी चाहिए। इस दिन कुछ लोग
जुआ खेलते है, जो समाज की नजर में अच्छा नहीं है इसलिए हमें इस तरह के कार्य नहीं करने
चाहिए। पटाखे कम और सावधानी पूर्वक छोड़ने चाहिए। हमें सिर्फ वो कार्य करने चाहिए जिससे
किसी के मन को ठेस न पहुंचे क्यूकि दिवाली खुशियों का त्यौहार है।
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